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अनटोल्ड स्टोरी: पत्रकार राकेश खंडूड़ी की कलम अक्सर सत्ता को चुभती रही

चतुर नारद ब्यूरो: अमर उजाला देहरादून यूनिट के ब्यूरो चीफ राकेश खंडूड़ी का निधन हो गया है। राकेश खंडूड़ी ईमानदार, निर्भीक पत्रकार माने जाते रहे हैं। राकेश खंडूड़ी की कलम की धार अक्सर सत्ता के गलियारे को असहज करती रही है। सरकार में कांग्रेस हो या भाजपा, वह निर्भीकता से सत्ता की आलोचना करने से कभी हिचके नहीं।

आइए आपको बताते हैं राकेश खंडूड़ी से जुड़ी खास बातें-

राकेश खंडूड़ी ने मी-टू प्रकरण से मचाई थी हलचल:
उत्तराखंड में 4 वर्ष पूर्व चर्चित मी-टू प्रकरण को अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था, जिससे भाजपा व राज्य सरकार में हलचल मची थी। इस खबर को भी प्रमुखता और धारदार तरीके से उठाने वाले राकेश खंडूड़ी ही थे।

नारी निकेतन का भी किया था खुलासा:

राजेश खंडूड़ी ने वर्ष 2015 में नारी निकेतन में संवासिनियों के साथ हो रहे अमानवीय व यौन शोषण की घटनाओं का खुलासा करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। इस खुलासे में अमर उजाला के खोजी पत्रकार नाकिनी गुसाईं और तत्कालीन क्राइम रिपोर्टर राकेश शर्मा ने अग्रणी भूमिका निभाई थी, लेकिन इन दोनों पत्रकारों को राजनीतिक कार्रवाई से संरक्षण मुहैया कराने में राकेश खंडूड़ी ने जी जान खाई थी। तभी यह स्टिंग ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और ऑपरेशन में शामिल पत्रकारों पर सरकारी कार्रवाई भी नहीं हो सकी थी।

खंडूड़ी ऐसे पत्रकार थे जो सत्ता के दबाव में आए बिना और मंत्री-विधायकों से निजी स्वार्थों के लिए निकटता बनाने में कोई रुचि नहीं लेते थे। उन्हें सिद्धांतवादी पत्रकार के रूप में जाना जाता था है।

वायलिन बजाने के टैलेंट से जीता दिल:
एक वर्ष पहले फेसबुक में अचानक राकेश खंडूड़ी ने वायलिन बजाते हुए अपना वीडियो शेयर किया, जिसे हजारों की संख्या में प्रशंसकों ने पसंद किया। प्रशंसकों ने उनसे इस टैलेंट को छिपाए रखने के लिए नाराजगी भी जताई और आग्रह किया कि वह लगातार इस प्रतिभा को सोशल मीडिया पर साझा करते रहें।

ब्यूरो चीफ बनकर भी सादगीपूर्ण जीवन :
दरअसल, वर्ष 2022 में राकेश खंडूड़ी अमर उजाला देहरादून में ब्यूरो चीफ बने थे। उस समय तत्कालीन ब्यूरो चीफ अरुणेश पठानिया का यूपी में ट्रांसफर हुआ, जिस कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। तब तत्कालीन देहरादून यूनिट व उत्तराखंड राज्य संपादक संजय अभिज्ञान ने राकेश खंडूड़ी को प्रमोट करते हुए ब्यूरो चीफ की अहम जिम्मेदारी सौंपी थी।
आपको बता दें कि ब्यूरो चीफ वह पद होता है जो राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्री मंडल समेत सचिवालय को कवर करते हैं। ब्यूरो चीफ सीधे मुख्यमंत्री से बात कर सकते हैं और मुख्यमंत्री भी ब्यूरो चीफ के साथ मधुर संबंध बनाने पर जोर देते हैं। इसके बावजूद राकेश खंडूड़ी ने सरकार से लाभ लेते हुए कभी निजी हित साधने के बजाय सिद्धांतवादी जीवन को प्राथमिकता दी।
राकेश खंडूड़ी डोईवाला के प्रेमनगर में रहते थे। वह रोजाना बाइक से देहरादून स्थित पटेल कार्यालय में अप-डाउन किया करते थे। वह बेहद सादगीपूर्ण जीवन बिताना पसंद करते थे।
आज राकेश खंडूड़ी का असमय जाना पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। आज उत्तराखंड ने ईमानदार, निर्भीक एवं सिद्धांतवादी पत्रकार खो दिया है।
ॐ शांति।।

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