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डोईवाला नतीजे में कांग्रेस व भाजपा के लिए छिपा बड़ा सियासी संदेश

चतुर नारद ब्यूरो: अक्सर देश व प्रदेश में मुख्य व सबसे पुरानी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए भाजपा कमजोर विपक्ष का नैरेटिव सेट करती रही है, मगर कांग्रेस की हार का प्रमुख कारण भाजपा का मजबूत होना नहीं है, बल्कि कांग्रेस में गुटबाजी व पार्टी के प्रति निष्ठा की कमी रहा है। उत्तराखंड में डबल इंजन की भाजपा सरकार के पूरा जोर लगाने के बावजूद जिस तरह भाजपा के मजबूत की किले देहरादून की जिला पंचायत अध्यक्ष व डोईवाला ब्लॉक प्रमुख पद के चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की, उसमें बड़ा सियासी संदेश छिपा है।
यह संदेश है पार्टी के बड़े नेताओं की एकजुटता व निष्ठा का, जिसके बल पर कांग्रेस ने डबल इंजन को परास्त किया है। इन दोनों चुनावों में जिस तरह कांग्रेस के छोटे से लेकर बड़े नेता एकजुट दिखे और सब पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने में छोटे छोटे प्रयासों का योगदान देने से भी नहीं चूके और बेहतर रणनीति व कुशल प्रबंधन के बल पर ऐतिहासिक जीत हासिल की, वह 2027 विधानसभा चुनाव से पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार करने वाला है।

डोईवाला व ऋषिकेश विधानसभा में कांग्रेस व भाजपा को आत्ममंथन की जरूरत:

2027 विधासभा चुनाव से पहले डोईवाला ब्लाक प्रमुख पद पर कांग्रेस की जीत से भाजपा को डबल झटका लगा है। डोईवाला ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली डोईवाला व ऋषिकेश विधानसभा में ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त बनाने में सफलता हासिल की है। भाजपा के लिए यह झटका इसलिए भी है क्योंकि ऋषिकेश व डोईवाला में वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं।

इन दोनों सीटों में भाजपा अपनी स्थिति मजबूत मानती रही है। पिछले ऋषिकेश नगर निगम चुनाव में भी भाजपा ने जीत हासिल जरूर की, लेकिन पिछली जीत के मुकाबले मतों के अंतर बड़ी कमी दर्ज की गई थी। ऐसे में डोईवाला ब्लॉक प्रमुख की सीट हाथ से गंवाना भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं है। वो भी तब जब ऋषिकेश जिला अध्यक्ष राजेंद्र तड़ियाल डोईवाला के रहने वाले हैं और डोईवाला विधायक बृजभूषण गैरोला भी भाजपा से हैं।


अब बात करते हैं कांग्रेस की। कांग्रेस भले ही यह चुनाव जीत गई है लेकिन पार्टी नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि यह जीत गुटबाजी थमने का नतीजा थी, जिसने पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं को एक किया और जनता के बीच पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में सफलता हासिल की। भले ही अक्सर नव निर्वाचित ब्लॉक प्रमुख गौरव सिंह और जिलाध्यक्ष परवादून मोहित उनियाल के अलग अलग गुट होने की चर्चाएं चलती रही हो, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहित उनियाल पूरी शिद्दत से गौरव सिंह व पार्टी को जिताने में लगे नजर आए। ऋषिकेश महानगर अध्यक्ष राकेश सिंह एडवोकेट भी कार्यकर्ताओं के साथ पूरे समय मैदान में डटे रहे।

मोहित अधिक से अधिक क्षेत्र पंचायत सदस्यों को जिताने में लगे रहे, ताकि ब्लॉक प्रमुख पद कांग्रेस की झोली में आ सके। इसके लिए मोहित उनियाल ने टिकट वितरण में भी पारदर्शिता बरतते हुए सभी से विचार-विमर्श कर जिताऊ प्रत्याशी को टिकट दिलाने पर जोर दिया, जिसके कारण पार्टी को जीत भी मिली। वहीं, गौरव सिंह ने भी जिलाध्यक्ष मोहित को उचित सम्मान दिया। दोनों युवा नेताओं की कड़ी मेहनत और चकराता विधायक प्रीतम सिंह की कुशल रणनीति और चुनावी प्रबंधन ने कांग्रेस को जीत दिलाई।

डोईवाला विधानसभा की तरह ऋषिकेश कांग्रेस के नेताओं में भी कुछ ऐसी तस्वीर नजर आई। आम तौर पर ऋषिकेश कांग्रेस के कद्दावर नेता जयेंद्र रमोला और राजपाल खरोला के बीच चल रही गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है। इस चुनाव में जयेंद्र रमोला ऋषिकेश विधानसभा की ग्रामीण सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने में लगे रहे। इसके रायवाला, भट्टोवाला, गढ़ी, छिदरवाला समेत कई सीटों पर सुखद नतीजे भी देखने को मिले। वहीं, श्यामपुर समेत कुछ सीटों पर राजपाल खरोला समर्थक प्रत्याशी भी जीते। रमोला और खरोला दोनों ही नेता अपने समर्थक विजेताओं के साथ कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी गौरव सिंह को जिताने में संकल्पबद्ध दिखे और नतीजों में वैसा दिखा भी।
इससे साफ है कि डोईवाला व ऋषिकेश विधानसभा में कांग्रेस के लिए पाने के लिए बहुत कुछ है, बशर्ते कांग्रेस के नेता गुटबाजी पर विराम लगाकर पार्टी के प्रत्याशी को जिताने में पूरी निष्ठा से जुट जाएं। डोईवाला हो या ऋषिकेश, नेताओं की गुटबाजी के कारण पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता हतोत्साहित होते हैं जिसका नुकसान पार्टी को चुनावी हार के रूप में उठाना पड़ता है।

डोईवाला प्रमुख पद के चुनावी नतीजों से भाजपा व कांग्रेस सबक ले तो आगामी विधानसभा चुनाव 2027 में बड़ा लाभ जरूर होगा।

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